श्रीमद्भागवत कथा: कथाव्यास ने श्री कृष्ण की बाल लीला और गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई…..

बिलासपुर। ग्राम उर्तुम में भूपेंद्र राघव गौरहा के निवास में स्व.गोदावरी देवी के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा प्रसंग के 5 वें दिन श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर अलोपीबाग प्रयागराज (उ.प्र.) से पधारे कथा व्यास पीठाचार्य श्री घनश्याम आचार्य जी महाराज ने श्रोताओं को श्री कृष्ण की बाल लीलाएं एवं गोवर्धन पूजा की कथा प्रसंग सुनाया जिसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

कथा व्यास ने कथा में बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म वासुदेव और देवकी के गर्भ से कारागार में हुआ. वासुदेव ने श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा के यहां दे दिया था,जहां यशोदा ने अपने लल्ला कान्हा को बड़े ही लाड़ प्यार से पाला. भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे. जितना यशोदा मैया और नंद लाला उनके नटखट अंदाज से परेशान थे, उतना ही वहां के गांव वाले भी. कृष्ण जी अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुरा कर खा जाते थे, जिसके बाद गांव वाले उनकी शिकायत मैया यशोदा के पास लेकर पहुंच जाते थे. इस वजह से उन्हें अपनी मैया से डांट भी खानी पड़ती थी.

पीठाचार्य घनश्यामाचार्य जी महाराज ने श्रोताओं को अपनी कथा के माध्यम से गोवर्धन लीला का प्रसंग भी सुनाया और बताया कि राजा इंद्र को अपने आप पर बहुत बड़ा घमंड अभिमान था उसे चूर चूर करने के लिए श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन लीला रचाई और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया। तब सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की। इसी के बाद से गोवर्धन पर्वत के पूजन की परंपरा आरंभ हुई।
कथा सुनने आसपास के कई गांव के लोग बड़ी संख्या में रोजाना पहुंच रहे है।