विधानसभा चुनाव को लेकर जिला भाजपा मीडिया प्रभारी प्रणव शर्मा का बड़ा बयान, कहा “सी वोटर्स” के सर्वे ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है भाजपा को अप्रत्याशित बढ़त…@

(रियाज़ अशरफी): छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हाल ही मे हुए “सी वोटर्स” के सर्वे रिपोर्ट ने प्रदेश की राजनीतिक फिज़ाओ का तापमान बढ़ा दिया है, रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगभग 25 सीटों का नुकसान होते दिख रहा है, वही बीजेपी की स्थिति अच्छी खासी नज़र आ रही है।
“सी वोटर्स” के इस चुनावी सर्वे रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी प्रणव शर्मा समदरिया ने एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि सर्वे के टाईमिंग पर ध्यान देने की जरूरत है यह सर्वे उस वक्त किया गया, जब कांग्रेस सरकार सत्ता में पुनः वापसी के लिए नित नए लोक-लुभावन घोषणा करते जा रही थी मुख्यमंत्री जी अपने भेंट-मुलाकात जैसे कार्यक्रम के सहारे आम लोगो का समर्थन पाने की पूरजोर कोशिश में लगे हुए थे ठीक ऐसे समय में सर्वेक्षण रिपोर्ट का बीजेपी के पक्ष में प्लस मार्किंग करना बताता है कि अब प्रदेश में कांग्रेस के कोई भी प्रयास प्रभावशील नहीं रहें उसकी लोकप्रियता में बड़ी तेजी से गिरावट आई है सत्तापक्ष को अहसास हैं कि उनके ज्यादातर विधायकों के परफोर्मेंस ठीक नहीं है वे चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है।
प्रणव शर्मा ने कहा सरकार की योजनाओं को लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्तापक्ष को डिफेंसिव मोड पर लाकर खड़ा दी है सरकार के करीबियों पर ईडी का एक के बाद एक ताबड़तोड़ छापेमारी से नए-नए खुलासे हो रहे हैं, जिससे सरकार के समक्ष विश्वास का संकट गहराता चला जा रहा है ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी के लिए सत्ता की राह में ज्यादा रोड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा भय, भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी को लेकर लगातार सड़कों पर है
जिला मीडिया प्रभारी ने कहा प्रत्याशी चयन में जिस तरह से बीजेपी ने एक सधी हुई नीति कौशल का परिचय दिया है कांग्रेस के रणनीतिकार चौंक गए है यही कारण है कि देखा देखी उन्हें भी प्रत्याशी चयन की कार्यवाही तेज करनी पड़ी चिन्हांकित किए गए विधानसभाओं में अचानक 21 प्रत्याशियों की घोषणा से बीजेपी को अच्छा प्रचार मिला जिसे प्रथम दृष्टया में अच्छे संकेत कहे जा सकते हैं, ऐन वक्त पर अमित शाह जी की एंट्री बता रही है कि केंद्रीय नेतृत्व की निगाहे छत्तीसगढ़ पर टिकी हुई है चुनाव के मैदान में कोई दांव पेज नही छोड़ना नहीं चाहती ये सभी घटनाक्रम सत्तापक्ष के भीतर बेचैनी उत्पन्न कर रही है प्रदेश कांग्रेस के बड़े चेहरे बाहर से भले ही एक दिख रहे हो पर उनके अंदरूनी हालात सामान्य नहीं है सत्ताशीन होने के बावजूद भी चुनाव में नेतृत्व पर सहमति नहीं बन पाई है, अभी तक चुनाव को लेकर कोई रोडमैप तैयार नहीं कर सकी है आम चुनाव को चंद महीने ही शेष हैं ऐसे में बीजेपी खोई हुई भूमि को तेजी से रिकव्हर करने में लगी है जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे है वैसे-वैसे बीजेपी का विधानसभा में सशक्त होने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है।